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user image Arvind Swaroop Kushwaha - 02 Jul 2020 at 6:04 AM -

टाइटन titan

दोस्तो मैं आज आपको शनि ग्रह के चंद्रमा टाइटन के बारे में कुछ बताना चाहता हूँ।
टाइटन शनि ग्रह का उपग्रह होने के साथ साथ अपनी विशेषताएँ भी रखता है क्योंकि इसका आकार बुध ग्रह से बड़ा है -
टाइटन (Titan), सौर मंडल के शनि ... ग्रह का सबसे बड़ा चंद्रमा है। यह सौर मंडल के सभी चंद्रमाओं में वातावरण वाला एकमात्र ज्ञात चंद्रमा है, और पृथ्वी के अलावा एकमात्र ऐसा खगोलीय पिंड है जिसके सतही तरल स्थानों, जैसे नहरों, सागरों आदि के ठोस प्रमाण उपलब्ध हों।
शनि के इस उपग्रह और पृथ्वी के बीच और भी कई समानताएं हैं। टाइटन पर ज्वालामुखी जैसी क्रियाएं भी देखने में आती हैं और यहां खाइयां, नदियों के पाट और मुहाने भी दिखते हैं, किन्तु बड़े पहाड़ नहीं दिखे। बहुत कम क्रेटर-जैसे गोलाकार गड्ढे हैं और किसी प्रकार का जीवन नहीं है। वातावरण अत्यंत ठंडा है। तरल मीथेन यहां पानी का काम करती है। हवा में प्रतिध्वनि भी होती है, पृथ्वी की तरह तरंगें भी पैदा होती हैं।
यह चंद्रमा पृथ्वी की अपेक्षा बेहद ठंडा है और औसत तापमान शून्य से भी 180 डिग्री सेल्सियस नीचे है, जो साइबेरिया से भी तीन गुना ठंडा है। नदियों और झीलों में पानी के बदले तरल मीथेन गैस बहती है। ज्वालामुखी से बर्फीली अमोनिया निकलती है। वायुमंडल में 98.4 प्रतिशत नाइट्रोजन गैस है और शेष 1.6 प्रतिशत अन्य गैसें हैं जिसमें मीथेन का अनुपात सर्वाधिक है। वायुमंडल बहुत सघन और गुरुत्वाकर्षण बल कम है। टाइटन शनि का सबसे बड़ा उपग्रह है। 5.150 किलोमीटर व्यास वाला ये चंद्रमा पृथ्वी के चंद्रमा से 1.624 किलोमीटर बड़ा है। उसका घना वायुमंडल पृथ्वी के वायुमंडल के विपरीत एक ऐसा विलोम ग्रीनहाउस प्रभाव पैदा करता है कि सूर्य की किरणें अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाती हैं। इस कारण उसे जितना ठंडा होना चाहिये, उससे कहीं अधिक ठंडा है।
अफसोस की बात ये है कि टाइटन तेज गति से शनि ग्रह से दूर होता जा रहा है ठीक उसी प्रकार जैसे चांद पृथ्वी से हर साल 1.5 इंच दूर हो जाता है।

राहुल सेन से साभार

user image Arvind Swaroop Kushwaha - 22 Jun 2020 at 8:09 AM -

भारतीय व्यवस्था

बहुत जबरदस्त लिखा है लेखक का नाम है चित्रगुप्त। .....
साँप का काटा
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आदमी को मारने के लिए सरकारी वायदे, विपक्ष के ताने, कवियों की कविताएं और सरकारी कर्मचारियों की धूर्तताएँ कम थीं क्या जो अब साँप ने भी काट लिया? अरे भाई मरने का भी कोई ... कायदा कानून होता है? इतने चुस्त और दुरुस्त प्रशासन में सरकारी अनुमति के बगैर कोई ऐसे कैसे मर सकता है? टीवी पर बैठा एंकर अभी पैनल में शामिल अन्य कुछ बयान बहादुरों को गरम करने की कोशिश कर ही रहा था कि बिजली चली गई।
...और उधर कार का शीशा नीचे करते हुए सीएमओ साब ने धरने पर बैठे सुग्घरवा से पूछा- "काहे बैठे हो?"
"बेटे को सांप ने काट लिया है सरकार और उसका इलाज हो नहीं रहा..." सुग्घरवा ने उत्तर दिया।
"सांप ने तो पुत्तनवा के बेटे को भी काटा था और इलाज तो उसका भी नहीं हुआ था तब तुम धरना देने नहीं आये थे?" सीएमओ साहब इतना बोलकर आगे बढ़ गए तब तक इलाके की पुलिस चौकी के इंचार्ज की आमद हुई...
"का रे सुग्घरवा ...! काहे धरना दे रहा है, सुना है बेटे को सांप ने काट लिया?"
"हां सरकार..." इस बार जवाब सुग्घरवा की बीवी ने दिया था।
"तुम गांव वाले पूरे ही बुड़बक हो यही तो है। जब सांप काटने के लिए आ रहा था उसी समय तुमने उसके खिलाफ एफआईआर करवाना चाहिए था। फिर देखते वो स्साला सांप एक बार थाने पुलिस के चक्कर में आ जाता तब हम बताते कि ज्यादा जहर किसमें है।"
सुग्घरवा रोते बिलखते इंचार्ज साहब का मुंह देख ही रहा था कि नेता विपक्ष सफेद कुर्ता अपनी चमक बिखेरता हुआ उसकी आँखों में धंस गया। सांप वाले डॉक्टर इन्ही नेता जी के बहनोई थे। सुग्घरवा उनके ओर बढ़ने ही वाला था कि ब्यवस्थापकों द्वारा रोक दिया गया। "अरे रुको रुको अभी हमारा कैमरे वाला नहीं आया है। पहले उसे आने दो फिर मिलना भेटना सब होगा नेता जी की पूरी संवेदना आपके साथ है ।
"सरकार अपने बहनोई से कहकर अगर इलाज करा देते तो मेरा कुल दीपक बुझने से बच जाता...." सुग्घर ने हाथ जोड़ते हुए कहा
"अगले चुनाव में नेता जी को जिताइये फिर होगा ये सब अभी तो ये बस अपना सपोर्ट दिखाने आये हैं।" नेता जी के आगे खड़े मार्गदर्शक मंडल के प्रतिनिधि टाइप नेता ने कहा...
ये सब चल ही रहा था कि सरकार की आकाशवाणी गूंजने लगी.....
"सुग्घर .... ये सुग्घर...! शायद तुम्हें पता नहीं होगा कि हमारी सरकार ने ऐसी योजना बनाई है जिसमें तुम्हारे पूरे परिवार का मुफ्त में इलाज होगा। तुम्हे डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। हमने एक मोबाइल एप्प भी बनाया है जिसे मोबाइल में डालकर रखो तो वो बताएगा कि सांप किस तरफ से आने वाला है और इसके अलावा हमने ऐसी व्यवस्था भी की है कि सांप अगर काटने के लिए आएगा तो हम तुरंत नेवला छोड़ देंगे। तुम्हें बस नेवला छोड़ने के लिए अपने पास वाले नेवला केंद्र में जाकर एक अर्जी ही लगानी होगी बस....."
"पर सरकार ये नेवला केंद्र है कहाँ?" वहीं पर मौजूद एक सफाई कर्मचारी जिसने आज तक झाड़ू का मुंह तक नहीं देखा पर तनख्वाह में एक दिन भी लेट मंजूर नहीं, ने पूछा-
आकाशवाणी ने थोड़ा सा खिसियाया हुआ सा मुंह बनाया (ऐसा अनुमान है, पर नेता खिसियाये ये जरूरी भी नहीं है) और बोली उसे बनाने पर अभी विचार चल रहा है।
आकाशवाणी भाइयों बहनों करती हुई बंद हुई तब तक सरकारी सपेरा कहीं से अपनी बीन पकड़े हुए प्रकट हुआ। जिसे बीन बजाना और सांप पकड़ना छोड़कर सारे काम आते थे। इसलिए उसनेे बीन इसके लिए अलग से खानदानी गरीब टाइप का एक सपेरा रख रखा था। जिसने आते ही बीन बजानी शुरू कर दी। अभी तक जितने भी लोग सुग्घर का धरना देखने के लिए जुटे थे वे सब अब उसका बीन बजाना देखने लगे। थोड़ी देर में ही सांप का भी आगमन हुआ जिसे देखकर सरकारी सपेरा डरके मारे बीन बजाने वाले के पीछे छुप गया।
"तुमने इस गरीब बालक को क्यों काटा...?"बीन बजाने वाले ने पूछा
"सरकार हम कोई आदमी नहीं हैं जो आदमी को काटें" सांप ने उत्तर दिया।
"तो फिर ....?"
"तो फिर क्या? ये बांस के झुरमुट में कुछ कर रहा था वहीं इसे कोई कांटा गड़ गया ठीक उसी समय मैं भी वहाँ से जा रहा था तो ये साँप साँप चिल्लाकर वहाँ से भाग खड़ा हुआ।
"मल्लब तुमने काटा ही नहीं..."
"न सरकार"
इतना सुनना था कि अब तक अचेत पड़ा सुग्घरवा का बेटा उठकर बैठ गया।
#चित्रगुप्त

user image Arvind Swaroop Kushwaha - 08 May 2020 at 6:29 AM -

प्रकाश वर्ष

किलोमीटर में क्यों नहीं नापी जाती है तारों और ग्रहों की दूरी?

चंद्रमा पृथ्वी से तीन लाख चौरासी हजार किलोमीटर दूर है। सूर्य हमारी पृथ्वी से करीब 15 करोड़ किमी दूर है। इनकी दूरी हम किलोमीटर में बताते हैं, लेकिन जब दूसरे ग्रहों या तारों की ... बात आती है तो दूरी किलोमीटर के बजाए प्रकाश वर्ष में गिनी जाती है। आइए इसकी वजह को समझते हैं।

पिछले सालों में हम अंतरिक्ष यानों की मदद से सौरमंडल के अनेक कोनों तक पहुंचने में सफल रहे हैं। यहां तक कि किसी अन्य खगोलीय पिंड पर मानव को भी भेजने में सफल हुए हैं। मसलन 4,00,000 किलोमीटर दूर चांद पर। अंतरिक्ष के लिहाज से ये छोटी दूरियां हैं। और इसलिए सौर मंडल की इन दूरियों को हम मील या किलोमीटर में माप सकते हैं।
चंद्रमा तो हमारा करीबी पड़ोसी है लेकिन शनि की दूरी पृथ्वी से 1.5 अरब किलोमीटर है। यदि हम करीबी तारामंडल में जाना चाहते हैं तो हमें करीब 40 अरब किलोमीटर से ज्यादा लंबा का सफर करना होगा।
किसी यान को भेजना तो बहुत बड़ी बात है, प्रकाश जो कि एक सेकेंड में तीन लाख किलोमीटर चलता है उसको भी इतनी दूरी को तय करने में 4 साल लगेंगे। प्रकाश अंतरिक्ष में हमेशा समान गति से चलता है इसलिए दूरी की व्याख्या करने या उसे तय करने के लिए अंतरिक्षयात्री इसी का इस्तेमाल करते हैं।

दूरी तय करने के लिए वे तथाकथित पैरालैक्स मेथड का इस्तेमाल करते हैं। इसमें वे किसी खास तारे के कोण को मापते हैं। आधे साल बाद वे उस कोण को फिर से मापते हैं। उसके बाद त्रिकोणमिति की मदद से वे सितारों के बीच की दूरी माप सकते हैं। लेकिन ये तरीका सिर्फ हमारे करीबी तारामंडलों में काम करता है। लगभग 150 प्रकाश वर्ष की दूरी तक।

यदि अंतरिक्ष विज्ञानी आकाश गंगा का आकार या पड़ोसी आकांश गंगा की दूरी मापाना चाहते हैं तो, उन्हें एक दूसरे इंचीटेप की जरूरत होती है, इसे सेफाइड कहते हैं।
कुछ खास तरह की चमक विखरने वाले सितारों को चमकती मोमबत्ती कहा जाता है।
जिन चमकते तारों के बारे में हमें मालूम है कि वे कितनी दूरी पर हैं और कितनी रोशनी छोड़ते हैं उन्हें हम स्टैंडर्ड मोमबत्ती कहते हैं।
इन ज्ञात चमकते तारों के सापेक्ष सेफाइड विधि से टेलिस्कोप में आने वाली रोशनी की मात्रा से अंतरिक्ष विज्ञानी दूसरे तारों की दूरी की गणना कर सकते हैं।

हबल टेलिस्कोप से ब्रह्मांड के दिखने वाले हिस्से तक पाए जाने वाले रोशनी के इन उद्गमों की दूरी को मापा जा सकता है।

user image Arvind Swaroop Kushwaha - 27 Oct 2018 at 7:42 AM -

डेंगू, व अन्य वायरल बीमारियों से मुकाबला

आजकल डेंगू और वाइरल बुखार बहुत भयानक रूप से फैला हुआ है। थोड़ा सा बुखार होते ही लोग घबरा जाते हैं । तरह तरह की अफवाहों के चलते लोग आर्थिक नुकसान उठा रहे हैं। अफवाहों के चलते ही बकरी का दूध 2000 रूपये किलो तक ... बिक रहा है।
डॉ लोग बुरी तरह से लोगो को लूट रहे हैं !जबरदस्ती के मंहगे टेस्ट कराने को लोग मजबूर हो जाते हैं ।
प्लेटलेट्स के टेस्ट पर बिलकुल विश्वास ना करें ।
सामान्यतः हर बुखार में प्लेटलेट्स गिरती ही हैं !!!----------------
देश भर के बड़े बड़े चिकित्सको की सलाह के अनुसार निम्नलिखित बातें हर व्यक्ति को जानना चाहिए !!!
**1--बुखार होने पर लगातार पानी पीते रहे !!
अगर सादा पानी ना पीया जाए ,,तो नारियल पानी ,,शिकंजी ,,,शरबत आदि पीते रहे !!!!!!!,,,,
सबसे अधिक प्रयास बुखार उतारने का करें ,,,,,
पानी की पट्टियां बदलें !!!!

**2-- अगर डेंगू का टेस्ट पोसिटिव भी आया है तो घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है !!!
अगर लगातार पानी पीया जा रहा है और ,,रोगी दो तीन घंटे में पेशाब कर रहा है तो तनिक भी घबराने की आवश्यकता नहीं है !!!!
बिना दवा के भी ,,डेंगू और अन्य वाइरल बुखार एक से डेढ़ हफ्ते में ठीक हो जाता है अगर ,,,रोगी लगातार पानी पीता रहे !!!!!!!!!

**3-- डेंगू में आम तौर पर खतरनाक स्थिति तब नहीं बनती जब तक रोगी को बुखार रहता है ---
-असली ख़तरा बुखार उतरने के बाद बढ़ता है ,,जब रोगी लापरवाही से शारीरिक श्रम करने लगता है ---सावधानी रखें ,,,पूर्ण विश्राम करें ,,,पानी लगातार पीते रहे !!!!!
अगर बुखार के बाद रोगी उठने तक में असमर्थ अनुभव कर रहा है ,,,,जोड़ों में भयानक दर्द अनुभव कर रहा है ,,तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लें !!!!!!

**4--अगर उच्च और निम्न रक्तचाप में 40 से अधिक का अंतर आये ,,लगातार पेट में दर्द बना रहे ,,,शरीर पर लाल चकत्ते बन रहे हो तब चिकित्सक से अवश्य परामर्श करें !!!!!!
लेकिन उस अवस्था में भी अगर रोगी लगातार पानी पी रहा है और घंटे दो घंटे में पेशाब करने जा रहा है तो घबराने की तनिक भी आवश्यकता नहीं है !!!!

**5-- गिलोय की बेल लगभग 8 इंच का टुकडा ,,एक गिलास पानी में उबाले ,,,आधा रहने पर रोगी को पिलायें ,,,,अगर पीने में असुविधा हो रही हो तो उसे शरबत में मिला कर पिला दें ,,,लाभ अवश्य होगा !!!!!!

**6-- डेंगू की कोई वेक्सीन नहीं बनी है ,,,इसलिए किसी डॉ के पास धन और समय की बर्बादी ना करें !!!!,,,
,अगर बुखार उतारने के लिए कोई अंगरेजी दवा लेनी ही हो तो केवल "" पेरासीटामोल "" ही लें ,,,अन्य कोई भी दवा किसी भी हालत में ना लें !!!!!

*********सबसे महत्वपूर्ण बात **** डेंगू फैलने का सबसे अधिक अनुकूल समय है ,,सितम्बर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के अंत तक !!!!अतः कृपया इस विषय में समाज में जागरूकता अवश्य फैलाए !!!!!!

प्रिय बन्धुओं ! यदि किसी को डेगूँ या साधारण बुखार के कारण प्लेटलेट्स कम हो गयी है तो एक होमोपेथिक दवा है।
EUPATORIUM PERFOIAM 200
liquid dilution homeopathic medicine.
इसकी 3 या 4 बूँदें प्रत्येक 2-2 घँटें में साधारण पानी में ड़ाल कर मात्र 2 दिन पिलायें । प्लेटलेट्स कम नहीं होगीं। यदि आप पुण्यं कमाना चाहते हैं तो यह संदेश धर्म-प्रसाद मान कर सभी को प्रेषित करे

user image Arvind Swaroop Kushwaha - 26 Oct 2018 at 2:39 PM -

अलसी या तीसी के औषधीय गुण

अलसी के औषधीय गुण तथा विभिन्न बीमारियों में उपयोग व फायदे-(अधिकांशतः सुनी हुई बातें हैं)-

अनेक जटिल समस्याओं के लिए अचूक औषधि है अलसी। अलसी का मराठी नाम जवस है। इसे उत्तर भारत में तीसी के नाम से भी जाना जाता है। अलसी असरकारी ऊर्जा, स्फूर्ति ... व जीवटता प्रदान करता है। अलसी, तीसी, अतसी, कॉमन फ्लेक्स और वानस्पतिक लिनभयूसिटेटिसिमनम नाम से विख्यात तिलहन अलसी के पौधे बागों और खेतों में खरपतवार के रूप में तो उगते ही हैं, इसकी खेती भी की जाती है। इसका पौधा दो से चार फुट तक ऊंचा, जड़ चार से आठ इंच तक लंबी, पत्ते एक से तीन इंच लंबे, फूल नीले रंग के गोल, आधा से एक इंच व्यास के होते हैं। इसके बीज और बीजों का तेल औषधि के रूप में उपयोगी है। अलसी रस में मधुर, पाक में कटु, पित्तनाशक, वीर्यवर्धक, वात एवं कफ नाशक व खांसी मिटाने वाली है। इसके बीज चिकनाई व मृदुता उत्पादक, बलवर्घक, शूल शामक और मूत्रल हैं। इसका तेल विरेचक (दस्तावर) और व्रण पूरक होता है।

अलसी की पुल्टिस का प्रयोग गले एवं छाती के दर्द, सूजन तथा निमोनिया और पसलियों के दर्द में लगाकर किया जाता है। इसके साथ यह चोट, मोच, जोड़ों की सूजन, शरीर में कहीं गांठ या फोड़ा उठने पर लगाने से शीघ्र लाभ पहुंचाती है। एंटी फ्लोजेस्टिन नामक इसका प्लास्टर डॉक्टर भी उपयोग में लेते हैं। चरक संहिता में इसे जीवाणु नाशक माना गया है। यह श्वास नलियों और फेफड़ों में जमे कफ को निकाल कर दमा और खांसी में राहत देती है।

इसकी बड़ी मात्रा विरेचक तथा छोटी मात्रा गुर्दो को उत्तेजना प्रदान कर मूत्र निष्कासक है। यह पथरी, मूत्र शर्करा और कष्ट से मूत्र आने पर गुणकारी है। अलसी के तेल का धुआं सूंघने से नाक में जमा कफ निकल आता है और पुराने जुकाम में लाभ होता है। यह धुआं हिस्टीरिया रोग में भी गुणकारी है। अलसी के काढ़े से एनिमा देकर मलाशय की शुद्धि की जाती है। उदर रोगों में इसका तेल पिलाया जाता हैं।

तनाव के क्षणों में शांत व स्थिर बनाए रखने में सहायक है। कैंसर रोधी है तथा हार्मोन्स की सक्रियता बढ़ाता है। अलसी इस धरती का सबसे शक्तिशाली पौधा है। कुछ शोध से ये बात सामने आई कि इससे दिल की बीमारी, कैंसर, स्ट्रोक और मधुमेह का खतरा कम हो जाता है। इस छोटे से बीज से होने वाले फायदों की फेहरिस्त काफी लंबी है,​​ जिसका इस्तेमाल सदियों से लोग करते आए हैं। इसके रेशे पाचन को सुगम बनाते हैं, इस कारण वजन नियंत्रण करने में अलसी सहायक है। रक्त में शर्करा तथा कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है। जोड़ों का कड़ापन कम करता है। प्राकृतिक रेचक गुण होने से पेट साफ रखता है। हृदय संबंधी रोगों के खतरे को कम करता है। उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है। त्वचा को स्वस्थ रखता है एवं सूखापन दूर कर एग्जिमा आदि से बचाता है। बालों व नाखून की वृद्धि कर उन्हें स्वस्थ व चमकदार बनाता है। इसका नियमित सेवन रजोनिवृत्ति संबंधी परेशानियों से राहत प्रदान करता है। मासिक धर्म के दौरान ऐंठन को कम कर गर्भाशय को स्वस्थ रखता है। अलसी का सेवन त्वचा पर बढ़ती उम्र के असर को कम करता है। अलसी का सेवन भोजन के पहले या भोजन के साथ करने से पेट भरने का एहसास होकर भूख कम लगती है। प्राकृतिक रेचक गुण होने से पेट साफ रख कब्ज से मुक्ति दिलाता है।
अलसी कैसे काम करती है
अलसी के चमत्कार को दुनिया ने माना है, आधुनिक युग में स्त्रियों की यौन-इच्छा, कामोत्तेजना, चरम-आनंद विकार, बांझपन, गर्भपात, दुग्धअल्पता की महान औषधि है। स्त्रियों की सभी लैंगिक समस्याओं के सारे उपचारों हेतु सर्वश्रेष्ठ और सुरक्षित है अलसी।

सबसे पहले तो अलसी आप और आपके जीवनसाथी की त्वचा को आकर्षक, कोमल, नम, बेदाग व गोरा बनायेगी। आपके केश काले, घने, मजबूत, चमकदार और रेशमी हो जायेंगे। अलसी आपकी देह को ऊर्जावान और मांसल बना देगी। शरीर में चुस्ती-फुर्ती बनी रहेगी, न क्रोध आयेगा और न कभी थकावट होगी। मन शांत, सकारात्मक और दिव्य हो जायेगा। अलसी में ओमेगा-3 फैट, आर्जिनीन, लिगनेन, सेलेनियम, जिंक और मेगनीशियम होते हैं जो स्त्री हार्मोन्स, टेस्टोस्टिरोन और फेरोमोन्स (आकर्षण के हार्मोन) के निर्माण के मूलभूत घटक हैं। टेस्टोस्टिरोन आपकी कामेच्छा को चरम स्तर पर रखता है।

अलसी में विद्यमान ओमेगा-3 फैट और लिगनेन जननेन्द्रियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं, जिससे कामोत्तेजना बढ़ती है। इसके अलावा ये शिथिल पड़ी क्षतिग्रस्त नाड़ियों का कायाकल्प करती हैं जिससे मस्तिष्क और जननेन्द्रियों के बीच सूचनाओं एवं संवेदनाओं का प्रवाह दुरुस्त हो जाता है। नाड़ियों को स्वस्थ रखने में अलसी में विद्यमान लेसीथिन, विटामिन बी ग्रुप, बीटा केरोटीन, फोलेट, कॉपर आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अलसी से, देह के सारे चक्र खुल जाते हैं।
अलसी के बीज के चमत्कारों का हाल ही में खुलासा हुआ है कि इनमें 27 प्रकार के कैंसररोधी तत्व खोजे जा चुके हैं। अलसी में पाए जाने वाले ये तत्व कैंसररोधी हार्मोन्स को प्रभावी बनाते हैं, विशेषकर पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर व महिलाओं में स्तन कैंसर की रोकथाम में अलसी का सेवन कारगर है। दूसरा महत्वपूर्ण खुलासा यह है कि अलसी के बीज सेवन से महिलाओं में सेक्स रोगों यथा गोनोरिया, नेफ्राइटिस, अस्थमा, सिस्टाइटिस, कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, कब्ज, बवासीर, एक्जिमा आदि के उपचार में भी उपयोगी है।

user image Jigyasa Editor

उत्कृष्ट जानकारी

Friday, October 26, 2018
user image Aneeeh Swaroop

Nice information!!!! Thank you for this...

Friday, October 26, 2018