जागृति
पाखंड का जाल फैलाने वाले यह नहीं समझ पाते कि वो जिनको फंसाते हैं उन्हीं के साथ खुद भी फंसे रहते हैं।
जागृति
पाखंड का जाल फैलाने वाले यह नहीं समझ पाते कि वो जिनको फंसाते हैं उन्हीं के साथ खुद भी फंसे रहते हैं।
मनोकामनाओं के सपने
“एक कुत्ता एक झाड के नीचे बैठा था। सपना देख रहा था। आंखें बन्द थीं और बडा आनन्दित हो रहा था। और बडा डांवाडोल हो रहा था, मस्त था। एक बिल्ली जो वृक्ष के ऊपर बैठी थी, उसने कहा कि मेरे भाई, जरूर कोई मजेदार
...
घटना घट रही है। क्या देख रहे हो?
‘सपना देख रहा था’- कुत्ते ने कहा- ‘बाधा मत डाल। सब खराब कर दिया बीच में बोल कर। बडा गजब का सपना आ रहा था। एकदम हड्डियां बरस रही थीं। वर्षा की जगह हड्डियां बरस रही थीं। पानी नहीं गिर रहा था चारों तरफ; हड्डियां ही हड्डियां।’
बिल्ली ने कहा- ‘मूरख है तू! हमने भी शास्त्र पढे हैं, पुरखों से सुना है कि कभी कभी ऐसा होता है कि वर्षा में पानी नहीं गिरता बल्कि चूहे बरसते हैं। लेकिन हड्डियां? किसी शास्त्र में नहीं लिखा है।’
लेकिन कुत्तों के शास्त्र अलग, बिल्लियों के शास्त्र अलग। सब शास्त्र तुम्हारी इच्छाओं के शास्त्र हैं।
”osho"