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Welcome!

user image Robertamony RobertamonyPT - Tuesday at 6:54 AM -

क्या आप प्रेम मंत्र और जादू में विश्वास करते हैं?

नमस्कार!
मैं जादू, प्रेम मंत्र या साजिशों के बारे में संदेह करता था, इससे हंसी और विडंबना होती थी ।
लेकिन एक बार एक दोस्त ने मुझे दिखाया कि प्रेम मंत्र और जादू उसके जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं, और यह मेरे लिए ... दिलचस्प हो गया ।
विभिन्न पुस्तकों और सामग्रियों का अध्ययन करते हुए, मुझे एहसास हुआ कि जादू वास्तव में काम करता है और इसके बारे में जो पूछा जाता है वह लाता है ।
बस एक जीवन की स्थिति उत्पन्न हुई, और मैंने अच्छे जादूगरों की तलाश शुरू कर दी, अपील के बाद सब कुछ निकला, मैं आपको जादू के इन स्वामी की सिफारिश करना चाहता हूं:
https://tvoi54.ru/articles/15-12-2022/6631-otzyvy-o-privorotah-realnyi-lyudei-kto-delal-ritual-na-saite-magpomosh-ru.html
https://abc-24.info/otzyv-o-chernom-privorote-na-muzhchinu/
http://inmyway.org/news/otzyvy-o-privorotakh-realnyy-lyudey-kto-delal-ritual-na-sayte-magpomoshru-magpa666bkru
मैंने उन्हें ऊपर की साइटों पर समीक्षाओं में पाया!
और याद रखें, केवल अच्छे उद्देश्यों के लिए जादू का उपयोग करें)
गुड लक!

user image Robertamony RobertamonyPT - Tuesday at 12:18 AM -

क्या आप प्रेम मंत्र और जादू में विश्वास करते हैं?

नमस्कार!
मैं जादू, प्रेम मंत्र या साजिशों के बारे में संदेह करता था, इससे हंसी और विडंबना होती थी ।
लेकिन एक बार एक दोस्त ने मुझे दिखाया कि प्रेम मंत्र और जादू उसके जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं, और यह मेरे लिए ... दिलचस्प हो गया ।
विभिन्न पुस्तकों और सामग्रियों का अध्ययन करते हुए, मुझे एहसास हुआ कि जादू वास्तव में काम करता है और इसके बारे में जो पूछा जाता है वह लाता है ।
बस एक जीवन की स्थिति उत्पन्न हुई, और मैंने अच्छे जादूगरों की तलाश शुरू कर दी, अपील के बाद सब कुछ निकला, मैं आपको जादू के इन स्वामी की सिफारिश करना चाहता हूं:
https://tvoi54.ru/articles/15-12-2022/6631-otzyvy-o-privorotah-realnyi-lyudei-kto-delal-ritual-na-saite-magpomosh-ru.html
https://abc-24.info/otzyv-o-chernom-privorote-na-muzhchinu/
http://inmyway.org/news/otzyvy-o-privorotakh-realnyy-lyudey-kto-delal-ritual-na-sayte-magpomoshru-magpa666bkru
मैंने उन्हें ऊपर की साइटों पर समीक्षाओं में पाया!
और याद रखें, केवल अच्छे उद्देश्यों के लिए जादू का उपयोग करें)
गुड लक!

user image Tonyanurge TonyanurgePM - Sunday at 12:30 AM -

कौन सी साइटें सेक्स को कला के रूप में प्रस्तुत करती हैं?

सभी को नमस्कार!

मैं सोच रहा था कि आप सही सलाह और व्यावहारिक पक्ष के विवरण के साथ सेक्स और कामुकता के बारे में अच्छे लेख कहां पा सकते हैं ।
बहुत सारी साइटों की समीक्षा करने के बाद, मैंने व्यक्तिगत रूप से ... एक विकल्प बनाया https://www.erotical.ru
कोई विज्ञापन नहीं है और कुछ अश्लील और गंदा है, बस पाठ और सबसे महत्वपूर्ण जानकारी है!
शर्मीली मत बनो, सेक्स और कामुकता लोगों और जोड़ों के जीवन में महत्वपूर्ण प्रेरक हैं)
मुझे खुशी होगी अगर यह जानकारी आपके लिए उपयोगी है!

मैं आपको अच्छे पढ़ने और विकास की कामना करता हूं!

user image Tonyanurge TonyanurgePM - Saturday at 2:57 PM -

कौन सी साइटें सेक्स को कला के रूप में प्रस्तुत करती हैं?

सभी को नमस्कार!

मैं सोच रहा था कि आप सही सलाह और व्यावहारिक पक्ष के विवरण के साथ सेक्स और कामुकता के बारे में अच्छे लेख कहां पा सकते हैं ।
बहुत सारी साइटों की समीक्षा करने के बाद, मैंने व्यक्तिगत रूप से ... एक विकल्प बनाया https://www.erotical.ru
कोई विज्ञापन नहीं है और कुछ अश्लील और गंदा है, बस पाठ और सबसे महत्वपूर्ण जानकारी है!
शर्मीली मत बनो, सेक्स और कामुकता लोगों और जोड़ों के जीवन में महत्वपूर्ण प्रेरक हैं)
मुझे खुशी होगी अगर यह जानकारी आपके लिए उपयोगी है!

मैं आपको अच्छे पढ़ने और विकास की कामना करता हूं!

user image IraEnviz IraEnvizZO - 31 Dec 2022 at 6:58 AM -

कामुकता और सेक्स के बारे में लेख पढ़ना बेहतर कहां है?

सभी को नमस्कार!

क्या आपने कभी सेक्स और कामुकता पर साहित्य का अध्ययन किया है?
सेक्स और कामुकता जीवन के महत्वपूर्ण पहलू हैं, और यह सही दृष्टिकोण है जो सुनिश्चित करता है
अपने साथी और सामान्य रूप से सद्भाव और ऊर्जा दोनों । ...
मैं लंबे समय से अश्लील चित्रों और विज्ञापन के बिना अच्छी परियोजनाओं की तलाश में हूं,
और मुझे यह साइट मिली - https://www.erotichouse.ru
यह दिलचस्प है, लेकिन कई चीजों का अध्ययन करने के बाद, मेरी सेक्स लाइफ तुरंत बेहतर हो गई,
यह पता चला कि सब कुछ उतना मुश्किल नहीं था जितना कि वे सेक्सोलॉजिस्ट के लेखों में डराते थे ।
मुझे खुशी होगी अगर यह जानकारी आपके लिए उपयोगी है!

गुड लक)

user image IgoraniMb IgoraniMbPZ - 30 Dec 2022 at 2:30 PM -

क्या आप मुझे बता सकते हैं कि उपकरणों और सॉफ़्टवेयर को कॉन्फ़िगर करने के बारे में लेख कहाँ पढ़ें?

नमस्कार!

कभी-कभी विभिन्न उपकरणों और कार्यक्रमों को कॉन्फ़िगर करना आवश्यक होता है, मैं वेब पर इस विषय पर कुछ सार्थक और जानकारीपूर्ण ढूंढ रहा था ।
एक उपग्रह एंटीना, एक सार्वभौमिक रिमोट कंट्रोल स्थापित करना और एक स्थानीय नेटवर्क का निर्माण करना आवश्यक ... था, ऐसे विभिन्न कार्य!
मुझे एक दिलचस्प परियोजना मिली, और इसमें सभी उत्तर हैं, विस्तार से और चित्रों के साथ, यह वास्तव में बुकमार्क करने लायक है https://cssapemaster.ru
यदि आप अधिक समान परियोजनाओं का सुझाव दे सकते हैं, तो मुझे खुशी होगी ।

सभी को अच्छा मूड!

user image Arvind Swaroop Kushwaha - 20 Jul 2021 at 8:04 PM -

सूर्य नमस्कार

सूर्य नमस्कार का अभ्यास बारह स्थितियों
में किया जाता है, जो निम्नलिखित है-
(1) दोनों हाथों को जोड़कर सीधे खड़े हों।
नेत्र बंद करें। ध्यान 'आज्ञा चक्र' पर केंद्रित करके 'सूर्य' का आह्वान
'ॐ मित्राय नमः'
मंत्र के द्वारा करें।

(2) श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से ... सटाते हुए ऊपर की ओर तानें तथा भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं। ध्यान को गर्दन के पीछे 'विशुद्धि चक्र' पर केन्द्रित करें।

(3) तीसरी स्थिति में श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकाएं। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरों के दाएं-बाएं पृथ्वी का स्पर्श करें। घुटने सीधे रहें। माथा घुटनों का स्पर्श करता हुआ ध्यान नाभि के पीछे 'मणिपूरक चक्र' पर केन्द्रित करते हुए कुछ क्षण इसी स्थिति में रुकें। कमर एवं रीढ़ के दोष वाले
साधक न करें।

(4) इसी स्थिति में श्वास को भरते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। छाती को खींचकर आगे की ओर तानें। गर्दन को अधिक पीछे की ओर झुकाएं। टांग तनी हुई सीधी पीछे की ओर खिंचाव और पैर का पंजा खड़ा हुआ। इस स्थिति में कुछ समय रुकें। ध्यान को 'स्वाधिष्ठान' अथवा 'विशुद्धि चक्र' पर ले जाएँ। मुखाकृति सामान्य रखें।

(5) श्वास को धीरे-धीरे बाहर निष्कासित करते हुए दाएं पैर को भी पीछे ले जाएं। दोनों पैरों की एड़ियां परस्पर मिली हुई हों। पीछे की ओर शरीर को खिंचाव दें और एड़ियों को पृथ्वी पर मिलाने का प्रयास करें। नितम्बों को अधिक से अधिक ऊपर उठाएं। गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को कण्ठकूप में लगाएं। ध्यान 'सहस्रार चक्र' पर केन्द्रित करने का अभ्यास करें।

(6) श्वास भरते हुए शरीर को पृथ्वी के समानांतर, सीधा साष्टांग दण्डवत करें और पहले घुटने, छाती और माथा पृथ्वी पर लगा दें। नितम्बों को थोड़ा ऊपर उठा दें। श्वास छोड़ दें। ध्यान को 'अनाहत चक्र' पर टिका दें। श्वास की गति सामान्य करें।

सूर्यनमस्कार व श्वासोच्छवास
(7) इस स्थिति में धीरे-धीरे श्वास को भरते हुए छाती को आगे की ओर खींचते हुए हाथों को सीधे कर दें। गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं। घुटने पृथ्वी का स्पर्श करते हुए तथा पैरों के पंजे खड़े रहें। मूलाधार को खींचकर वहीं ध्यान को टिका दें।

(8) श्वास को धीरे-धीरे बाहर निष्कासित करते हुए दाएं पैर को भी पीछे ले जाएं। दोनों पैरों की एड़ियां परस्पर मिली हुई हों। पीछे की ओर शरीर को खिंचाव दें और एड़ियों को पृथ्वी पर मिलाने का प्रयास करें। नितम्बों को अधिक से अधिक ऊपर उठाएं। गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को कण्ठकूप में लगाएं। ध्यान 'सहस्रार चक्र' पर केन्द्रित करने का अभ्यास करें।

(9) इसी स्थिति में श्वास को भरते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। छाती को खींचकर आगे की ओर तानें। गर्दन को अधिक पीछे की ओर झुकाएं। टांग तनी हुई सीधी पीछे की ओर खिंचाव और पैर का पंजा खड़ा हुआ। इस स्थिति में कुछ समय रुकें। ध्यान को 'स्वाधिष्ठान' अथवा 'विशुद्धि चक्र' पर ले जाएँ। मुखाकृति सामान्य रखें।

(10) तीसरी स्थिति में श्वास को धीरे- धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकाएं। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरों के दाएं-बाएं पृथ्वी का स्पर्श करें। घुटने सीधे रहें। माथा घुटनों का स्पर्श करता हुआ ध्यान नाभि के पीछे 'मणिपूरक चक्र' पर केन्द्रित करते हुए कुछ क्षण इसी स्थिति में रुकें। कमर एवं रीढ़ के दोष वाले साधक न करें।

(11) श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए ऊपर की ओर तानें तथा भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं। ध्यान को गर्दन के पीछे 'विशुद्धि चक्र' पर केन्द्रित करें।

(12) यह स्थिति - पहली स्थिति की भाँति रहेगी।

सूर्य नमस्कार की उपरोक्त बारह
स्थितियाँ हमारे शरीर को संपूर्ण अंगों की
विकृतियों को दूर करके निरोग बना देती हैं।
यह पूरी प्रक्रिया अत्यधिक लाभकारी है।
इसके अभ्यासी के हाथों-पैरों के दर्द दूर
होकर उनमें जान आ जाती है। गर्दन, फेफड़े
तथा पसलियों की मांसपेशियां सशक्त हो
जाती हैं, शरीर की फालतू चर्बी कम होकर
शरीर हल्का-फुल्का हो जाता है।

user image Arvind Swaroop Kushwaha - 20 Jul 2019 at 5:36 AM -

सूर्य नमस्कार-

सूर्य नमस्कार का अभ्यास बारह स्थितियों
में किया जाता है, जो निम्नलिखित है-
(1) दोनों हाथों को जोड़कर सीधे खड़े हों।
नेत्र बंद करें। ध्यान 'आज्ञा चक्र' पर केंद्रित
करके 'सूर्य भगवान' का आह्वान 'ॐ मित्राय
नमः' मंत्र के द्वारा करें।
(2) श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों
से सटाते हुए ... ऊपर की ओर तानें तथा भुजाओं
और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं। ध्यान
को गर्दन के पीछे 'विशुद्धि चक्र' पर
केन्द्रित करें।
(3) तीसरी स्थिति में श्वास को धीरे-धीरे
बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकाएं।
हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे
जाकर पैरों के दाएं-बाएं पृथ्वी का स्पर्श
करें। घुटने सीधे रहें। माथा घुटनों का स्पर्श
करता हुआ ध्यान नाभि के पीछे 'मणिपूरक
चक्र' पर केन्द्रित करते हुए कुछ क्षण इसी
स्थिति में रुकें। कमर एवं रीढ़ के दोष वाले
साधक न करें।
(4) इसी स्थिति में श्वास को भरते हुए बाएं
पैर को पीछे की ओर ले जाएं। छाती को
खींचकर आगे की ओर तानें। गर्दन को अधिक
पीछे की ओर झुकाएं। टांग तनी हुई सीधी
पीछे की ओर खिंचाव और पैर का पंजा
खड़ा हुआ। इस स्थिति में कुछ समय रुकें। ध्यान
को 'स्वाधिष्ठान' अथवा 'विशुद्धि चक्र'
पर ले जाएँ। मुखाकृति सामान्य रखें।
(5) श्वास को धीरे-धीरे बाहर निष्कासित
करते हुए दाएं पैर को भी पीछे ले जाएं। दोनों
पैरों की एड़ियां परस्पर मिली हुई हों। पीछे
की ओर शरीर को खिंचाव दें और एड़ियों
को पृथ्वी पर मिलाने का प्रयास करें।
नितम्बों को अधिक से अधिक ऊपर उठाएं।
गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को कण्ठकूप
में लगाएं। ध्यान 'सहस्रार चक्र' पर केन्द्रित
करने का अभ्यास करें।
(6) श्वास भरते हुए शरीर को पृथ्वी के
समानांतर, सीधा साष्टांग दण्डवत करें और
पहले घुटने, छाती और माथा पृथ्वी पर लगा
दें। नितम्बों को थोड़ा ऊपर उठा दें। श्वास
छोड़ दें। ध्यान को 'अनाहत चक्र' पर टिका
दें। श्वास की गति सामान्य करें।
सूर्यनमस्कार व श्वासोच्छवास
(7) इस स्थिति में धीरे-धीरे श्वास को भरते
हुए छाती को आगे की ओर खींचते हुए हाथों
को सीधे कर दें। गर्दन को पीछे की ओर ले
जाएं। घुटने पृथ्वी का स्पर्श करते हुए तथा
पैरों के पंजे खड़े रहें। मूलाधार को खींचकर
वहीं ध्यान को टिका दें।
(8) श्वास को धीरे-धीरे बाहर निष्कासित
करते हुए दाएं पैर को भी पीछे ले जाएं। दोनों
पैरों की एड़ियां परस्पर मिली हुई हों। पीछे
की ओर शरीर को खिंचाव दें और एड़ियों
को पृथ्वी पर मिलाने का प्रयास करें।
नितम्बों को अधिक से अधिक ऊपर उठाएं।
गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को कण्ठकूप
में लगाएं। ध्यान 'सहस्रार चक्र' पर केन्द्रित
करने का अभ्यास करें।
(9) इसी स्थिति में श्वास को भरते हुए बाएं
पैर को पीछे की ओर ले जाएं। छाती को
खींचकर आगे की ओर तानें। गर्दन को अधिक
पीछे की ओर झुकाएं। टांग तनी हुई सीधी
पीछे की ओर खिंचाव और पैर का पंजा
खड़ा हुआ। इस स्थिति में कुछ समय रुकें। ध्यान
को 'स्वाधिष्ठान' अथवा 'विशुद्धि चक्र'
पर ले जाएँ। मुखाकृति सामान्य रखें।
(10) तीसरी स्थिति में श्वास को धीरे-
धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर
झुकाएं। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए
नीचे जाकर पैरों के दाएं-बाएं पृथ्वी का
स्पर्श करें। घुटने सीधे रहें। माथा घुटनों का
स्पर्श करता हुआ ध्यान नाभि के पीछे
'मणिपूरक चक्र' पर केन्द्रित करते हुए कुछ क्षण
इसी स्थिति में रुकें। कमर एवं रीढ़ के दोष
वाले साधक न करें।
(11) श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों
से सटाते हुए ऊपर की ओर तानें तथा भुजाओं
और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं। ध्यान
को गर्दन के पीछे 'विशुद्धि चक्र' पर
केन्द्रित करें।
(12) यह स्थिति - पहली स्थिति की
भाँति रहेगी।
सूर्य नमस्कार की उपरोक्त बारह
स्थितियाँ हमारे शरीर को संपूर्ण अंगों की
विकृतियों को दूर करके निरोग बना देती हैं।
यह पूरी प्रक्रिया अत्यधिक लाभकारी है।
इसके अभ्यासी के हाथों-पैरों के दर्द दूर
होकर उनमें जान आ जाती है। गर्दन, फेफड़े
तथा पसलियों की मांसपेशियां सशक्त हो
जाती हैं, शरीर की फालतू चर्बी कम होकर
शरीर हल्का-फुल्का हो जाता है।

user image Arvind Swaroop Kushwaha - 08 Nov 2018 at 3:03 PM -

पेप्टिक अल्सर

यह एक गंभीर बीमारी होती है. इस रोग में पेट और आँतों में छाले या अल्सर हो जाते हैं और उनमे जख्म हो जाता है. बड़ी आंत की अंदरूनी परत में सूजन भी हो जाती है और पेट दर्द के साथ उल्टी भी होने लगती ... है और किसी किसी को मल में आंव भी निकलने लगते हैं.
यह रोग अधिक मिर्च-मसाले खाने और अधिक चिंता करने से होता है.

अतः आप इस रोग का उपचार निम्न तरह से करें –
1. सबसे पहले आप सल्फर 200 को सुबह 7 बजे, दोपहर को आर्निका 200 और रात्रि को आठ बजे नक्स वोम 200 की पांच बूँद आधा कप पानी से एक हफ्ते तक ले.
2. HSL कम्पनी की होम्योकाम्ब नं. 6 की दो गोली दिन में चार बार ले.
3. आप केल्केरिया फास 6X, केल्केरिया सल्फ़ 6X, काली फास 12X, नेट्रम फास 6X, नेट्रम सल्फ़ 6X, साइलिसिया 12X; इन सभी की एक-एक गोली मिलकर पुडिया बना ले और उसे दिन में चार बार चूसते रहे.
4. आप सुबह दो से चार गिलास कुनकुना पानी पीकर 5 मिनिट तक कौआ चाल (योग क्रिया) करें.
5. साथ ही पांच या अधिक से अधिक दस बार तक सूर्य नमस्कार करें. फिर 200 से 500 बार तक कपाल-भांति करें. इसके बाद प्राणायाम करें.
6. रोज सुबह और रात को 15-15 मिनिट का शवासन भी करें.
7. गेंहू, जौ, देसी चना और सोयाबीन को सम भाग मिलाकर पिसवा ले और उसकी रोटी सादे मसाले की रेशेदार सब्जी से खाएं. दाल का प्रयोग न करे.
8. बारीक आटे व मैदे से बनी वस्तुएं, तली वस्तुएं एव गरिष्ठ भोजन का पूर्ण रूप से त्याग करे।