Home

Welcome!

user image Arvind Swaroop Kushwaha - 05 Jun 2020 at 7:54 AM -

ओवर लोडिंग

ओवरलोडिंग का महत्व-
1- सामग्री कम फेरों में पहुंच जाती है।
2- गाड़ी के इंजन पर अधिक लोड पड़ता है, जिससे इंजन जल्दी खराब होता है, फलतः इंजन बनाने वालों को रोजगार मिलता है। इंजन अल्युमिनियम से बनता है, अल्युमिनियम भारत में ही निकलता है, इसलिए चिंता ... की कोई बात नहीं।
3- ओवरलोड से यातायात में वाहनों की संख्या कम होती है, जिससे जाम की समस्या से काफी हद तक निजात मिलती है, जो भारतीय शहरों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
4- ओवरलोड से डीजल की बचत होती है, डीजल आयात करना पड़ता है, इसलिए डीजल की बचत से विदेशी मुद्रा की भी बचत होती है।
5- डीजल का आयात अरब देशों से होता है, जो आतंकवादियों को वित्तीय मदद पहुंचाते हैं, अतः डीजल के आयात में कमी आने से आतंकवाद में भी कमी आयेगी।
6- डीजल का उपयोग कम होने से ऑक्सीजन भी कम खर्च होगी और वातावरण में धुआं भी कम फैलेगा, अतः पर्यावरण प्रदूषण भी कम होगा।
7- ओवरलोड से गाड़ियां धीमी चलती हैं जिससे दुर्घटनाएं भी कम होती हैं।
8- ओवरलोड से ट्रक पलटने का खतरा बढ़ जाता है। ट्रक पलटने से सड़क किनारे रह रहे लोगों को न सिर्फ रोजगार मिलता है बल्कि अक्सर मुफ्त का माल भी मिलता है।
9- ओवरलोडिंग से सड़कें जल्दी खराब हो जाती हैं जिससे बचने के लिए pwd को सड़कें भी मजबूत बनानी पड़ती हैं, इस प्रकार रोड बनाने में कमीशनबाजी भी कम होती है।
10- ओवरलोडिंग से मोरंग, गिट्टी आदि सस्ती मिलती है जिससे सड़क एवं भवन निर्माण की लागत कम आती है।
11- अधिक सवारी बैठाना भी ओवर लोडिंग का एक विशिष्ट उदाहरण है। ट्रेनें और रोडवेज बसें इस विधा की एक्सपर्ट हैं।
12- ऑटो और टेम्पो भी ओवरलोडिंग में किसी से कम नहीं हैं।
13- ओवरलोडिंग के क्षेत्र में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान isro ने भी एक ही यान में 105 सैटेलाइट अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक भेज कर विश्व कीर्तिमान बनाते हुए देश का गौरव बढ़ाया है।
14- ओवरलोडिंग का डायरेक्ट लाभ गाड़ी मालिक और ड्राइवर को मिलता है जो इनडायरेक्टली दूसरों तक भी पहुंचता है।

जिस तरह से गाय को राष्ट्रीय पशु तथा बन्दर को राष्ट्रीय देवता घोषित किये जाने की योजना है, उसी तरह से ओवरलोडिंग को राष्ट्रीय व्यापार घोषित किया जाना चाहिए।

user image Arvind Swaroop Kushwaha - 31 May 2020 at 8:29 AM -

मूल भारतीयों की औसत लंबाई राजपूतों की औसत लंबाई से कम क्यों है?
क्योंकि-
1, उनके भोजन में कैल्शियम की मात्रा कम रहती है।
2, बढ़ने की उम्र में भी बच्चों से ज्यादा ताकत लगाने वाले या थका देने वाले कार्य करवाये जाते हैं जिससे मांशपेशियां सख्त हो ... जाती हैं फलतः हड्डियों की वृद्धि में बाधक बनती हैं।
3, बढ़ने की उम्र में भी कुछ लोग कसरत ज्यादा करवा देते हैं।
4, जिनके पास खाने की कमी नहीं है वो कार्बोहाइड्रेट ज्यादा खाने लगते हैं जिससे मोटापा आ जाता है जिससे हड्डियां लम्बी होने के बजाय चौड़ी होने लगती हैं।

user image Arvind Swaroop Kushwaha - 12 Dec 2018 at 6:35 AM -

अक्सर हम देखते हैं कि सड़क पर परत के ऊपर परत बिछती रहती है जिससे सड़क की ऊंचाई बढ़ती जाती है और 25 से 30 साल में ही मकानों के प्लेटफॉर्म जो बनाते समय सड़क से ऊंचे थे धीरे धीरे सड़क से नीचे हो जाते ... हैं। इस कारण अनेक प्रकार की परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं जिनमे जल निकासी और नालियों की सफाई प्रमुख है।

सड़कों का उच्चीकरण केवल वहीँ होना चाहिए जहाँ ये नीची हों। बेवजह सडकों के उच्चीकरण पर रोक लगनी चाहिए। इससे शहर की जलनिकासी तथा मकानों में नमी बनी रहने की समस्या दूर होगी। फलतः मकानों की आयु बढ़ेगी, मच्छरों की संख्या नियंत्रित होगी तथा डेंगू, मलेरिया व टीवी जैसी तमाम बीमारियों पर काबू पाना आसान हो जायेगा।

user image Arvind Swaroop Kushwaha - 25 Nov 2018 at 6:58 PM -

ठंडी हवा की जल धारण क्षमता कम होती है। इसलिए ठण्ड में हवा की नमी लगभग समाप्त हो जाती है। यही सूखी हवा जब जीवित व्यक्ति की त्वचा से टकराती है तो त्वचा की गर्मी से गरम हो जाती है जिससे उसकी जल धारण क्षमता ... बढ़ जाती है। फलतः हवा त्वचा की नमी को अपने साथ ले जाती है।
इस प्रकार सर्दियों में त्वचा खुश्क रहने लगती है और फिर कभी कभी चटकने अर्थात फटने लगती है। वैसलीन या चिकनाई लगाने से त्वचा की नमी हवा के संपर्क में नहीं आ पाती और इस प्रकार त्वचा सूखने/फटने से बच जाती है।
अभी सर्दी की शुरुआत है। अभी से केयर करेंगे तो त्वचा बड़ी क्षति से बच जायेगी।