जो कुछ कहूंगा, सच कहूंगा-
जाति आधारित प्रताड़ना के झूठे मुकदमे की तारीखों में जाते जाते मुझे यह समझ में आया कि सच बोलने की कसम सिर्फ tv और सिनेमा में ही खिलाई जाती है।
।
फिर भी यदि सच बुलवाना हो तो शराब पिलाई जानी चाहिए। ज्यादातर मुकदमे एक ही सुनवाई
...
में निपट जाएंगे।