एडवर्ड जेनर
17 मई 1749 एडवर्ड जेनर का जन्मदिन है।एडवर्ड जेनर (17 मई सन् 1749-26 जनवरी 1823) अंग्रेज कायचिकित्सक तथा चेचक के टीके के आविष्कारक थे। जेनर को अक्सर "इम्यूनोलॉजी का पिता" कहा जाता है, और उनके काम को "किसी अन्य मानव के काम से ज्यादा ज़िंदगी
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बचाने वाला" कहा जाता है।अपने नगर में सामान्य शिक्षा के उपरांत जेनर ने चिकित्सा विज्ञान का शिक्षण एवं प्रशिक्षण किया।
लगभग ढाई-तीन सौ वर्ष पूर्व तक पाश्चात्य देशो में चेचक सर्वाधिक भयानक रोग माना जाता था साथ ही भारत में भी इस रोग की स्थिति इससे भिन्न नही थी। अठारहवीं सदी में चेचक के महामारी दुनिया भर में, विशेष रूप से यूरोप में फैली हुई थी इस समय एडवर्ड जेनर, ने इन रोगियों के इलाज करने के बारे में सोचा और इसपर विस्तृत अध्यन्न करना शुरू किया। उन्होंने अपने अध्यन्न के दौरान पाया की कभी-कभी गायों में भी ठीक इसी तरह का एक रोग हो जाता है जिसे काऊ पॉक्स(Cowpox) कहते है। इस रोग में गायों के थनो में छोटे-छोटे दानें निकल आते है जिसमें मवाद आ जाता है। जो भी काऊ पॉक्स से पीड़ित गायों के दूध निकालने वाले थे उन्हें भी यह रोग हो जाता, उनके हाथों में भी छोटे-छोटे दानें और फुंसियां निकल आती।
एडवर्ड जेनर ने ध्यान दिया की वे दूधवाले जिन्हें कभी गायों में पाया जाने वाला चेचक(cowpox) हुआ था, वे चेचक(Smallpox) से बहुत कम प्रभावित होते है, उन्हें लगने लगा की इन दोनों रोगों में कुछ सम्बन्ध तो है अब उन्होंने गायों में पाए जाने वाले चेचक का विस्तृत अध्ययन करना शुरू किया।उसी दरम्यान एक औरत अपने बच्चे को लेकर उनके पास आयी, उसका पाँच साल का बच्चा जेम्स फिप्स(James Phipps) स्माल पॉक्स से पीड़ित था। एडवर्ड जेनर ने काफी सोच विचार कर उस बच्चे पर परीक्षण करने का फैसला किया शायद एडवर्ड जेनर को भी नहीं पता था की उनका यह परीक्षण चिकित्सा विज्ञान में बड़ी क्रांति लाने वाला था। उन्होंने चेचक से पीड़ित गाय के थन के फुंसियों में से एक तरल निकला, और उसे उस लड़के के शरीर में प्रविष्ट कर दिया। लड़का कुछ समय तक बुखार से पीड़ित रहा, परन्तु वह जल्दी ही स्वस्थ होने लगा। जेनर ने तब एक और साहसिक प्रयोग करने का निश्चय किया, और उन्होंने चेचक से पीड़ित व्यक्ति के शरीर के छालों में से थोडा तरल लेकर उस लड़के के शरीर में इंजेक्ट कर दिया, अब यह लड़का चेचक से पीड़ित नहीं हो रहा था।
हलाकि शुरूआती दिनों में उनका विरोध भी हुआ लेकिन जेनर इनसब पर ध्यान न देकर अपने काम में लगे रहे। अब विश्व को चेचक का टीका मिल गया था, लोग दूर दूर से एडवर्ड जेनर के पास टीका लगवाने आते अब वे विख्यात हो चुके थे। एडवर्ड जेनर ने सिर्फ चेचक का उपचार नहीं खोजा था बल्कि उनकी इस खोज से इस बात का भी पता चला की हमारा शरीर कैसे एंटीबाडी बनाकर विभिन्न रोगों से हमारी प्रतिरक्षा कर सकता है। उनकी इस महान खोज को कभी भुलाया नहीं जा सकता पूरा विश्व और पूरा चिकित्सा विज्ञान सर्वदा उनका ऋणी रहेगा।