जहर क्या है ?
*" हर वो चीज़, जो ज़िन्दगी में*
*आवश्यकता से अधिक होती है*
*वही " ज़हर " है*
फ़िर चाहे वो *ताक़त* हो, *धन* हो, *भूख* हो, *लालच* हो, *अभिमान* हो, *आलस* हो, *महत्वकाँक्षा*
...
हो, *प्रेम* हो या *घृणा* ..,
*" जहर ही है "...*