आरक्षण का रोस्टर
जब आरक्षण 100 में है तो रोस्टर 13 में कैसे बन गया?
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13 बिंदु रोस्टर न्याय के नैसर्गिक सिद्धांतों की अवहेलना करके बनाया गया है।
रोस्टर का उद्देश्य किसी के न्यायाधिकारों का हनन नहीं बल्कि रक्षा करना है। ऐसी दशा में यह अब से कैसे लागू हो
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गया। इसे तब से ही लागू होना होगा जब से वर्तमान आरक्षण व्यवस्था लागू की गई है।
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रोस्टर में पहला पद उसको जाएगा जिसका आरक्षण अथवा अनाराक्षण प्रतिशत सर्वाधिक होगा।
उदाहरण के लिए
अनारक्षित 50
ओबीसी 27
Sc। 18
St। 5
पहली सीट पर अनारक्षित का हक 50% है इसलिए #अनारक्षित की
दूसरी सीट पर ओबीसी का हक 54% है इसलिए #ओबीसी की
तीसरी सीट पर अनारक्षित का हक 50% है इसलिए #अनारक्षित की
चौथी सीट पर sc का हक 72% है इसलिए #sc की
पांचवीं सीट पर अनारक्षित का हक आधा है इसलिए #अनारक्षित की
छठी सीट पर ओबीसी का हक 62% है इसलिए #ओबीसी की।
सातवीं सीट पर अनारक्षित का हक 50% है इसलिए #अनारक्षित की
आठवीं सीट पर sc का हक 44%है जो कि बाकी सबके हक से अधिक है इसलिए #sc की
नौवीं सीट पर पर अनारक्षित का हक 50% है इसलिए #अनारक्षित की
दसवीं सीट पर ओबीसी का हक 70% है इसलिए #ओबीसी की
ग्यारहवीं सीट पर पर st का हक 55% है इसलिए #st की
बारहवीं सीट पर अनारक्षित का हक 100% है इसलिए #अनारक्षित की।
तेरहवीं सीट पर ओबीसी का हक 51% तथा अनारक्षित का हक 50% इसलिए #ओबीसी की
अभी तक सबका हक बराबर नहीं हुआ तो ऐसी स्थिति में रोस्टर निर्धारण न्यायसंगत कैसे हुआ। इसे आगे बढ़ाया जाना और फिर इसी क्रम में लागू किया जाना जरूरी है।