भारत में अधिकतम 2% लोग खबरों, घोषणाओं, आश्वासनों, नीतियों तथा योजनाओं आदि के दूरगामी परिणामों का आंकलन कर पाते हैं। ऐसे लोगों को यदि देश से प्यार हुआ तो वो सरकार की समालोचना सार्वजनिक करते रहते हैं। दुर्भाग्य से उनकी बात का समर्थन करने वाले
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भी अधिकतम वही 2% लोग होते हैं। ऐसे लोगों की पोस्ट कुछ सत्ताधारी दलों के महत्वपूर्ण व्यक्तियों द्वारा भी पढ़ी जा रही होती हैं।
ऐसी पोस्ट्स का यही मुख्य सदुपयोग है।
दूसरा उपयोग यह है कि बाकी 98% में से 5-10% लोग अपना ज्ञान वर्धन कर लेते हैं।
बाकी कुछ लोग मजा लेते हैं और कुछ लोग गालियां बकते हैं।
पर हमें अपना काम करना पड़ता है। हमने कांग्रेस काल में भी यही किया और अब भी कोशिस जारी है। खैर, अब चुनाव होने तक चुप रहूंगा। क्योंकि यही समय की मांग है।